राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुभकामनाओं के साथ पत्रकारिता पर एक लेख

राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुभकामनाओं के साथ पत्रकारिता पर एक लेख



वर्तमान दौर में पत्रकारिता और चुनौतियां , जान जोखिम में डालकर करते हैं पत्रकारिता


मुजफ्फर अली.✍.
इंडिया टीवी न्यूज़ से संभाग ब्यूरो चीफ जिला रतलाम मध्य प्रदेश



 पत्रकारिता की यदि बात करें तो एक समय हमारे द्वारा समाचार संकलन कर उसे प्रेस कार्यालय तक पहुंचाने के लिए काफी माथापच्ची कर बड़ी ही भागदौड़ की जाती थी ,परंतु वर्तमान में पत्रकारिता के क्षेत्र में पत्रकारों को सोशल मीडिया एंड्राइ मोबाइल आकर आमजन की पहूच मे होकर आधुनिकीकरण होकर इसका लाभ मिल रहा है ,परंतु पत्रकारिता के क्षेत्र में चुनौतियां भी कम नहीं है, पत्रकार कहलाना हर किसी को अच्छा लगता है परंतु पत्रकारों की अपनी पीड़ा होती है जो किसी को सुध लेने की आवश्यकता नहीं होती है खास तौर पर नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों की सुध लेने की आवश्यकता है ,पत्रकारों को खबरों के कारण अपनी जान से तक हाथ धोना पड़ा है, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है । खबर अपने पाठकों तक पहुंचाने के लिए संबंधित पत्रकार को वर्तमान दौर में भी कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है या तो आप शाल श्रीफल वाली पत्रकारिता करे  या फिर खोजी पत्रकारिता कर ले या फिर प्रशंसा वाली कर ले ,यदि एक खबर को आम जनता तक पहुंचाना है तो कई बार उसका सहयोग जिम्मेदारों द्वारा चाहे किसी भी विभाग की बात ही क्यों ना हो  या जनप्रतिनिधि की बात क्यों ना हो जानकारी देने में पत्रकारों को सहयोग नहीं किया जाता है,क्यों नहीं किया जाता है? या विचारणीय बिंदु है। जिस कारण पत्रकार अपने विश्वस्त  सूत्रों से खबर प्राप्त करता है और उसके बाद भी उसकी पुष्टि करने के लिए भी वह कई प्रकार के प्रयास करता है ,यदि खबर अच्छी हुई तो शाबाशी अन्यथा दुत्कार रंजिश ,जबकि किसी पत्रकार की किसी से भी कोई व्यक्तिगत जातिगत दुश्मनी या रंजिश नहीं होती है  परंतु खबरों के कारण उनके संबंधितो के हित अवश्य ही प्रभावित होते हैं इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। हम यह कहना चाहते हैं कि हर पत्रकारों के अपने-अपने सूत्र होते हैं और वे सूत्र पत्रकारो के ऊपर विश्वास कर कर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं या जो जिसमें वे कुछ नहीं कर पाते हैं, की जानकारियां देते हैं, पत्रकारों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जानकारियां देकर सहयोग करते हैं ,तब कहीं जाकर अंतिम समय में मीडिया  के पास आते हैं और उन्हें आशा होती है कि वह खबर से उसका भला होगा और मामला उजागर होगा तो उसके दूरगामी परिणाम होंगे । जिन जिन के खिलाफ खबरें जानकारियां प्राप्त होती है तो  उनका सवाल  यह आता है कि आखिर आप लोगों को खबरें बताता कौन है जबकि वह यह नहीं बताते हैं कि जो खबर आप बता रहे हैं वह सच है या झूठ है ,तो हमारा संबंतिधों से  यही आग्रह  है कि हमारे सूत्र होते हैं और सूत्र भी अति विश्वसनीय होते हैं प्रतिष्ठित भी होते हैं वह धनी  व्यक्ति भी हो सकते हैं तो एक समाज का अंतिम व्यक्ति भी सूत्र हो सकता है, हमें जानकारी देता है और अधिकांश जानकारियां सूत्र की सही होती है, हो सकता है कोई अपवाद छोड़ दें तो गलत भी हो सकते हैं ,इस बात से भी इनकार नहीं करता है, परंतु जहां तक इस संवाददाता को जानकारी  है ,हर मामले में लगभग सही-सही खबर अपने पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है ,और स्वाभाविक है कि यह खबरें किसी मामले में अवैध कार्यों के उजागर होने से उनके हित  प्रभावित होते हैं, जिनसे उन्हें आर्थिक सामाजिक क्षती होती है और जिस कारण उनके आक्रोश का सामना संबंधित पत्रकारों को करना पड़ता है इस संवाददाता को ज्ञात है कि पूर्व में एक मामले में प्रमुखता से खबरों का प्रकाशन किया गया था जिस पर माननीय प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली भारत सरकार द्वारा संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को आदेशित किया गया था उसके उपरांत संबंधित मामले में कार्रवाई हुई थी जो आज तक प्रचलित है। बरहाल हम आशा करते हैं कि सभी से आग्रह करते हैं कि पत्रकारों को समय-समय पर सही-सही जानकारियां प्रदान की जाती रहे तो अनावश्यक रूप से सकारात्मक ही खबरों का प्रकाशन हो सके उसके उपरांत भी पत्रकार अपनी मर्यादा में रहकर खबरों का प्रकाशन करते हैं, पत्रकारों को के समक्ष कल भी चुनौतियां थी आज भी चुनौतियां हैं और कल भी चुनौती रहेंगे परंतु उसके बाद भी पत्रकार चट्टान की तरह अपने  कर्तव्य पथ पर ,विश्वास पर अडिग होकर निष्पक्ष निर्भीक होकर कलम चलाते रहें ।
शेष अगले अंक में निरंतर,,,,,,,,,,,