ताल नगर को शुद्ध अशुद्ध पानी को लेकर राजनीति का अखाड़ा
नारीशक्तीसे
मुजफ्फऱअली.
जिला रतलाम म.प्
शासन द्वारा रतलाम जिले की नगर परिषद ताल के नागरिकों के लिए चंबल नदी स्थित पेयजल हेतु करोडो रुपए खर्च कर फिल्टर प्लांट लगाया गया है जिससे नगर परिषद द्वारा नगर में नलों के माध्यम से जल वितरण किया जा रहा है परंतु उसे लगाए को कुछ वर्ष हो चुके हैं कि अब जाकर ताल नगर के कुछ जागरूक नागरिकों को पेयजल शुद्ध अशुद्ध को लेकर चिंता होने लगी है। उक्त संबंध में सोशल मीडिया पर नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में जिले में विधायक प्रतिनिधि अनिल शुक्ला के द्वारा एक पोस्ट वायरल की गई है जिसमें लिखा है कि''श्रीमान मुख्य नगर पालिका अधिकारी महोदय नगर परिषद ताल महोदय कृपया अवगत कराने का कष्ट करें कि जो जल प्रदाय नगर परिषद द्वारा किया जा रहा है उस योजना को लागू करने के पहले पीएचई विभाग द्वारा पीने योग्य पानी है अथवा नहीं है इसका कोई प्रमाण पत्र आपके कार्यालय में होगा ही हमारा आप से निवेदन है कि उक्त प्रमाण पत्र सत्य प्रतिलिपि उसका जो भी शुल्क हो हम जमा करने को तैयार हैं कृपया हमें वह प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने का कष्ट करें सधन्यवाद जानकारी प्राप्त करता अनिल शुक्ला श्रीमती मंगलादेवी अनिल शुक्ला पूर्व अध्यक्ष नगर परिषद ताल जिला रतलाम ।
उक्त पोस्ट को लेकर जब इस संवाददाता द्वारा श्री शुक्ला से जानकारी चाही तो आपने बताया कि नगर परिषद ताल द्वारा पानी जो फिल्टर प्लांट से नगर के नागरिकों को वितरण किया जा रहा है वह शुद्ध नहीं है ,आपने आगे कहा कि करोड़ों रुपए बैंक से कर्ज लेकर फिल्टर प्लांट क्यों लगवाया गया ? आगे आपने बताया कि ताल नगर के नागरिकों को शुद्ध जल वितरण कराने हेतु जिले के प्रभारी मंत्री से 19 नवंबर को मिलकर ज्ञापन देकर शुद्ध जल की मांग की जावेगी।
उक्त संबंध में ताल नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती श्वेता संजय बंटी पितलिया से जानकारी चाहि तो आपने बताया कि नगर में जब हमने पदभार ग्रहण किया तब जल संकट था ,उसके उपरांत भी हमने नागरिकों के सहयोग से पेयजल स्त्रोत अधिग्रहण कर नगर के नागरिकों को पेयजल की व्यवस्था कराई ।चंबल नदी स्थित फिल्टर प्लांट के जल की नियमित रूप से जांच की जाती है ,व हर 3 माह में जिले की लेबोर्ट्री में जल की शुद्धता की जांच कराई जाती है।
वही हम पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि जानकारी में आया है कि अभी हाल ही के कुछ वर्षों से शासन द्वारा नदियों मे फैक्ट्रियों का जहरीला पानी नदियों में छोड़ने पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण अब पानी नदियों द्वारा नहीं छोड़ने के आदेश पर शासन द्वारा सख्ती से पालन कराया जा रहा है ,जिस कारण भी पूर्व में यह आदेश नहीं था जिस कारण जहरीला पानी फैक्ट्री द्वारा नदियों में छोड़ा जाता था परंतु ऐसा माना जा रहा है कि अब इस प्रकार से पानी नदियों में नहीं छोड़ा जाता है ।
वह इस संवाददाता को ज्ञात है कि पूर्व में जब तत्कालीन कांग्रेस के नगर परिषद में अध्यक्ष महोदय थे तब पीएचई विभाग के तत्कालीन अधिकारी से जानकारी चाहिए थी तब आपने चंबल नदी के पानी को पीने योग्य नहीं होना बताया था ,परंतु अभी स्थितियां कुछ और हैं ,।बरहाल ताल नगर के नागरिकों को वितरण होने वाला पेयजल को लेकर राजनीति का अखाड़ा बन चुका है ,अब देखते हैं इसमें से शह और मात का खेल मे किसे शह और किसे मात मिलती है ।
वहीं कुछ बुद्धिजीवियों ने बताया कि यदि फिल्टर प्लांट में और शुद्धता लाना है तो मध्य प्रदेश शासन और बड़ा फिल्टर प्लांट लगाकर इसके पानी को और शुद्ध बनाकर जनता को शुद्धता वाला पानी पिलाया जा सकता है।