अवैध उत्खनन के मामले में दिया तले अंधेरा

अवैध उत्खनन के मामले में दिया तले अंधेरा


नारीशक्ती से
मुजफ्फऱअली


क्षेत्र में रेत वह मुर्रम का अवैध उत्खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है ,ताल क्षेत्र के अलावा आसपास क्षेत्रों में भी लंबे समय से अवैध उत्खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है ,एवं काले सोने का अवैध व्यापार काफी फल-फूल रहा है एवं रातो रात लखपति बन रहे हैं परंतु जिम्मेदार कोई कार्यवाही नहीं करते हैं कार्रवाई के नाम पर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है, पूर्व में ही जो कार्यवाही की गई थी उसमें शासन का करोड़ों रुपए की वसूली अभी अवैध खनिज माफिया पर बकाया है जिसकी वसूली अधर में लटकी हुई है। वर्तमान में भी नगर से कुछ किलोमीटर दुर  मुख्य सड़क मार्ग जावरा आगर टू लेन स्थित चंबल नदी,आनाखेडी,मैलूखेडी,ऐरवास,नाकटवाडा  पर दिन-रात अवैध उत्खनन जेसीबी मशीन द्वारा किया जाकर चंबल नदी व नदी नालो को खोखला किया जा रहा है परंतु जिम्मेदार कंबल ओढ़ कर घी पी रहे हैं ।जिससे जहां शासन प्रशासन की बदनामी होती है, वहीं भ्रष्टाचार भी काफी फलता फूलता है ।खुलेआम दिन रात चंबल नदी का सीना जेसीबी मशीन द्वारा छलनी किया जाता है ।अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो की गई वह ऊट के मूह मे जीरे के समान है,जानकारी तो यहा तक है की खनीज माफीया की कतिपय अधिकारीयो से मीलीभगत है तभी तो वे  खुलेआम  अधिकारियों की गाड़ियों में भी घूमते हैं,  जनता ने शासन प्रशासन से अवैध खनिज माफिया के विरुद्ध अभियान चलाकर कार्रवाई करने की मांग की है परंतु दिया तले अंधेरा हो रहा है । जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है ,जहां खुलेआम भ्रष्टाचार फल फूल  रहा है ,वहीं शासन के करोड़ों रुपए के राजस्व की भी  क्षति हो रही है। नदी नालों में भीम काय  गड्ढे हो चुके हैं उनसे जनहानि होने का भी अंदेशा सदैव बना रहता है और पुर्व मे  कई मामले सामने आ चुके हैं कि  खनिज माफियाओं द्वारा किए गए गड्ढों में बेगुनाह मासूम अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। या तो बड़े स्तर पर अधिकारी कुछ करना नहीं चाहते हैं या फिर लाभ शुभ के तगड़े फेर में पड़े हुए हैं ,यदि बात खनिज विभाग की करें तो वह स्टाफ का रोना लेकर बैठ जाते हैं कि हमारे पास स्टाफ नहीं है, वाहन नहीं है ड्राइवर नहीं है अरे यदि ऐसा है तो वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को पत्र लिखकर मांग क्यों नहीं करते हो परंतु जब सीधे-सीधे अपना हित हो रहा है तो इतनी जहमत क्यों उठाएं।


नदी नालों से अवैध रेत की उत्खनन एवं मूर्रम  उत्खनन को लेकर निरंतर प्रमुखता से खबरों का प्रकाशन करने के बाद भी जिम्मेदार कुंभकरण की नींद सोए हुए हैं और ऐसे में जन चर्चा जोरों पर चल रही है कि जब इतनी खबरों के प्रकाशन होने के बाद भी क्या जिम्मेदार कंबल ओढ़ कर घी पी रहे हैं तो बताया जाता है कि कुछ मुख्य सड़क मार्ग के राहगीरों ने बताया कि चंबल नदी पर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में खुलेआम दिन रात अवैध उत्खनन  का कारोबार अवैध  तरीके से  खुलेआम चल रहा है जबकि इस मार्गो से सभी का आना जाना निरंतर लगा रहता है तो क्या माना जाए कि गांधीजी के आगे सब नतमस्तक हो चुके हैं ,या कोई इस और सुध लेकर शासन प्रशासन की छवि खराब हो रही है उसे साफ करने का प्रयास भी करेगा या इसी प्रकार अवैध उत्खनन कर्ता शासन की छाती पर मूंग दलते हुए मुंह चीढाते  रहेंगे जबकि पूर्व में भी जिम्मेदारो  अधिकारीयो  द्वारा कहा गया था कि हम दल बनाकर कार्रवाई करेंगे परंतु 4 दिन की चांदनी है और वही फिर अंधेरी रात है ,कोई कार्रवाई करने का इच्छुक नहीं है, फिलहाल तो यही लगता है, फिर भी आम जनता को आशा है कि स्थानीय स्तर पर नहीं तो जिले के कलेक्टर महोदय एवं संभाग आयुक्त महोदय इस और अवश्य ध्यान देकर शासन को हो रही  आर्थिक क्षति  को रुकवा कर कठोर कार्रवाई करेंगे शासन का नियम है कि किसी भी स्थिति में जेसीबी मशीनों से नदी नालों में उत्खनन  नहीं किया जाए परंतु उसके बावजूद भी लंबे समय से यह गोरखधंधा चल रहा है।